
कामडारा
*अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष*
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने आप को स्वतंत्र दिवस के रूप में मनाते है। समाज के नजरिए से महिलाएं कमजोर साबित होते है। परंतु अब महिलाएं एक सशक्त और मजबूत लोहा मनवा चुके हैं।
*महिलाएं अबला नहीं है*
गुमला जिला के कामडारा प्रखंड के समाज सेविका शांति देवी ने समाज के लिए एक मिशाल पेस की है। उन्होंने समाज हर छोटे बड़े लोगो की सेवा की है। और तो और छोटे-छोटे सामाजिक विचारों,बुराइयों में अच्छे विचार धारा में लाने का कार्य कर रही है।
*समाज सेविका शांति देवी ने कही कि* शक्ति महिलाओं में है, बस यह उनको जानना है कि हम अबला नहीं हैं और किसी से कम नहीं हैं, बल्कि हम सशक्त हैं। इसको समाज को भी स्वीकारना जरूरी है। महिलाओं को विशेष नहीं, बस बराबर सम्मान और अवसर की आवश्यकता है। पुरुष और महिला साइकिल के पहिये हैं, जब दोनों बराबर चलेंगे, तभी साइकिल रूपी परिवार आगे बढ़ेगा। आधी आबादी महिला है, अगर यह विकास में साथ जुड़ जाएगी, तो देश एक नई ऊंचाई छुएगा। अब समाज भी बदल रहा है, परिवार में लड़कियों पर रोक-टोक कम हो रही है, लड़कों को भी समझाया जा रहा है कि उन्हें लड़कियों का सम्मान करना है। महिलाएं परिवार संभालने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर हो रही हैं, इस तरह से महिलाओं की ताकत दोगुनी हो गई है। महिलाएं केवल सहयोग भर की उम्मीद रखती हैं न कि यह चाहती हैं कि पूरा काम पुरुष ही करें।
ऐसे ही कई अन्य मामलों में भी अधिकारों की जानकारी न होने से महिलाएं समान अवसर से दूर रह जाती हैं। महिलाओं की भागीदारी को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने और महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस के मौके पर दुनियाभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना, समाज में पुरुषों के बराबर सम्मान, कार्य के समान अवसर प्रदान करना है।देश में महिलाओं के प्रति खराब होते माहौल को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं अपितु आम आदमी की भी है। हम सभी को आगे आकर महिला सुरक्षा की लड़ाई में महिलाओं का साथ देना होगा तभी देश की मातृ शक्ति सिर उठा कर शान से चल सकेगी।
*8 मार्च को क्यों मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस?*
महिला दिवस 8 मार्च को मनाने की एक खास वजह है। अमेरिका में कामकाजी महिलाओं ने 8 मार्च को अपने अधिकारों को लेकर आंदोलन करते हुए मार्च निकाला था। जिसके बाद सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिन महिला दिवस मनाने का एलान किया। बाद में 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस के लिए हड़ताल किया। बाद में सम्राट निकोलस ने अपना पद त्याग दिया और महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। ये देख यूरोप की महिलाओं ने भी कुछ दिन बाद 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स का समर्थन करते हुए रैलियां निकाली। इस कारण 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हो गई। बाद में 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दे दी।
*✒️ रंजन साहू*